कैसे इंसान हैं हम ?
आज जो हमारे देश के हालात हैं वो किसी से छुपे नहीं, विश्वास और अविश्वास का ऐसा वातावरण शायद कभी देखने को मिला हो, लेकिन इस बीच लोग खुल कर अपनी अच्छी और बुरी मानसिकता के साथ हमारे समक्ष आये, ऐसे समय में बहुत कुछ सीखने को मिला बहुत कुछ समझ में भी आया, आज सच की क्या स्थिति है और कानून व्यवस्था कितनी जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है बताने की ज़रूरत नहीं, ये बदलाव है जिसे बस समझने की ज़रूरत है और उसी के अनुरूप चलने की आवश्यकता है नहीं तो पिछड़ जाने की संभावना बनी रहती है, इसलिए हमें जैसा देश वैसा भेस जैसी कहवत की सार्थकता को समझने की ज़रूरत को महसूस करना चाहिए, समय बदल रहा है तो आपको भी चाहिए कि आप भी समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें, लोगों से प्रेरणा लें कि वो कैसे कैसे प्रयासों और प्रयोगों से सफलता प्राप्त करते हैं क्योंकि महान लोगों के पदचिन्हों पर चल कर भी लोग सफलता प्राप्त कर लेते हैं बहरहाल आज जो स्थिति है उसमें ज़रूरी है कि हम खुद पर विश्वास करें, उस रब के ख़ौफ के सिवा किसी भी डर को अपने दिल में जगह न दें, हर बुरा समय और विपरीत परिस्थितियां हमारे हौसलों की परीक्षा के लिए होती हैं इसलिए हमारी विशेषता इस परीक्षा में सफल होने की होनी चाहिए न कि हार जाने की चुनौती जितनी कठिन होती है उसे पूरा करने में उतने ही संघर्ष की ज़रूरत होती है जिससे हमें कभी नहीं घबराना चाहिए हमें जीवन की अंतिम सांस तक प्रयास करना चाहिए कि हम जब तक भी ज़िन्दा रहँ खुद में हयात हो क्योंकि मुर्दा ज़मीर के साथ जीना जीवन का भी अपमान है, इसलिए परिस्थितियां कैसी भी हों हमारा प्रयास उन विपरीत परिस्थितियों को अपने अनुसार ढालने का होना चाहिए, वहीं अपनी कमियों को दूर करने की ज़रूरत को महसूस करने का होना चाहिए कि हम अपनी कमियों को खूबियों में कैसे परिवर्तित करें, कैसे हम एक अच्छा इंसान बनें, कैसे हम अपने अख़लाक़ को बेहतर से बेहतर बनायें कैसे हम इबादत की सार्थकता को अंजाम दें, जियें और दूसरों को जीने दें कभी भी किसी की आंखों में आंसूओं की वजह न बने ,अपने ज़मीर का अपने उसूलो का सौदा किसी कीमत पर भी किसी भी परिस्थिति में न करें और खुद से एक बार अवश्य सवाल करें कि कैसे इंसान हैं हम ? आज के समय में ये सवाल स्वयं में बहुत मायने रखता है कि आज एक इंसान दूसरे इंसान की मौत पर ख़ुशी का इज़हार कर रहा है, आज नहीं तो कल मरना सभी को है अमर कोई नहीं है जाना सबको है एक न एक दिन, नाम में धर्म ढूंढना, कोई भी हो अच्छी मानसिकता, •अच्छी परवरिश का प्रतीक नहीं आज हमें हमारे इंसान होने पर गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है और ये बताने की ज़रूरत नहीं अच्छाई हो या बुराई सब हमारे आगे आती है, आज हम जो बोयेंगे वही कल कांटेंगे और ये हम सबकी मानसिकता पर निर्भर है किसी हम क्या काटना चाहते हैं नफ़रत की या मोहब्बत की, और जिस दिल में दूसरे के दर्द का एहसास न हो इंसानियत न हो वो इंसान नहीं सकता आज हमें ईमानदारी के साथ अपने अंदर झांकने की ज़रूरत है हमारा रब भी हमारे अंदर ही होता है इसलिए बेईमानी की गुंजाइश नहीं होगी।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद