कैसे अब अखबार
दुनिया सारी बन गई, आज जहाँ बाजार ।
आईने सा हो वहाँ, ..कैसे अब अखबार ।।
आएगी क्या वाकई, ….ऐसी भी तारीख !
नही दिखेगा माँगता, मुझे एक भी भीॆख! !
रमेश शर्मा.
दुनिया सारी बन गई, आज जहाँ बाजार ।
आईने सा हो वहाँ, ..कैसे अब अखबार ।।
आएगी क्या वाकई, ….ऐसी भी तारीख !
नही दिखेगा माँगता, मुझे एक भी भीॆख! !
रमेश शर्मा.