Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jun 2020 · 1 min read

कैसी कहानी केसा अफसाना

*** कैसी कहानी कैसा अफसाना ***
*******************************

तेरे बिन मेरा सूना हो गया अंगना
शहीद फौजी की भार्या कहे सुनो सजना

बिखर गया है दुल्हन की मांग का सिंदूर
उजड़ा बसा बसाया खुशहाल आशियाना

छीना है बच्चों के सिरों से छत का साया
कहाँ ढूँढेंगे पिता रूपी भरा खजाना

बूढ़ी माँ की अंधी आँखों का उजियारा
लाचार पिता जी के बुढ़ापे का ठिकाना

टूट गए हैं सपनें ,बिखर गए हैं अरमान
शमां से दूर हो गया पतंगा परवाना

तिरंगे से लिपट कर घर मौन लौट आए
सदियों तक शहादत याद करेगा जमाना

सूनी अब दीवाली , बदरंग हुई होली
यह कैसी है कहानी ,कैसा है अफसाना

सुखविन्द्र कैसे मोल चुकाएगा तुम्हारा
जब तलक जान रहूंगा तुम्हारा दीवाना
******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 425 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
Shweta Soni
देश खोखला
देश खोखला
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
Ajay Kumar Vimal
दीवारें खड़ी करना तो इस जहां में आसान है
दीवारें खड़ी करना तो इस जहां में आसान है
Charu Mitra
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
VINOD CHAUHAN
हमारी दोस्ती अजीब सी है
हमारी दोस्ती अजीब सी है
Keshav kishor Kumar
Being quiet not always shows you're wise but sometimes it sh
Being quiet not always shows you're wise but sometimes it sh
Sukoon
■दोहा■
■दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
***दिल बहलाने  लाया हूँ***
***दिल बहलाने लाया हूँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
Brijpal Singh
मेरे राम
मेरे राम
Prakash Chandra
*कलम (बाल कविता)*
*कलम (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ज़िंदगी में एक बार रोना भी जरूरी है
ज़िंदगी में एक बार रोना भी जरूरी है
Jitendra Chhonkar
जीवन तेरी नयी धुन
जीवन तेरी नयी धुन
कार्तिक नितिन शर्मा
"बोलती आँखें"
पंकज कुमार कर्ण
समय बहुत है,
समय बहुत है,
Parvat Singh Rajput
वाह भाई वाह
वाह भाई वाह
gurudeenverma198
दो जून की रोटी
दो जून की रोटी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
उम्र न जाने किन गलियों से गुजरी कुछ ख़्वाब मुकम्मल हुए कुछ उन
पूर्वार्थ
2432.पूर्णिका
2432.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
नज़र का फ्लू
नज़र का फ्लू
आकाश महेशपुरी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कड़ियों की लड़ी धीरे-धीरे बिखरने लगती है
कड़ियों की लड़ी धीरे-धीरे बिखरने लगती है
DrLakshman Jha Parimal
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
नवरात्रि के इस पवित्र त्योहार में,
Sahil Ahmad
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
दुनिया में कहीं से,बस इंसान लाना
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कैसे यकीन करेगा कोई,
कैसे यकीन करेगा कोई,
Dr. Man Mohan Krishna
🎊🎉चलो आज पतंग उड़ाने
🎊🎉चलो आज पतंग उड़ाने
Shashi kala vyas
"शतरंज के मोहरे"
Dr. Kishan tandon kranti
*आशाओं के दीप*
*आशाओं के दीप*
Harminder Kaur
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Harish Chandra Pande
Loading...