कैसा होगा भारत का भविष्य
कौन सोचता है कल के लिए ?
फुरसत के कुछ पल निकालकर,
होड़ जो लगी है सबको आगे बढ़ने की।
और तैयार है इसके लिए सभी,
लाने को देश में विदेशी निवेश,
और दे रहे हैं बढ़ावा सभी,
शिक्षा- चिकित्सा के निजीकरण को।
आज कुछ लोग बन गए हैं,
शिक्षा- चिकित्सा के दुकानदार,
जहाँ लगता है बाजार शिक्षा का,
जहाँ आसमां को छू रही है,
इलाज की कीमत।
क्या होगा उस परिवार का ?
जिसको नसीब नहीं है,
एक वक्त की रोटी भी पेट भरने को,
जिसके पास नहीं है,
एक जोड़ी कपड़ा भी शरीर ढकने को।
कैसे खरीद सकेगा वह गरीब ?
अपनी सन्तान के लिए इतनी महंगी शिक्षा,
इलाज के लिए इतनी बहुमूल्य दवाएँ,
कैसे बना सकेगा मजबूर अपनी संतान को ?
इस देश में एक सैनिक- शिक्षक और डॉक्टर,
जब हो रहा हो निजीकरण हर क्षेत्र में,
कैसा होगा भारत का भविष्य ?
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)