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4 Mar 2021 · 1 min read

कैसा वक्त जग में आया

कैसा वक्त जग में आया
*********************

कैसा वक्त जग में आया,
दुश्मन बना अपना साया।

रिस्तों में आ गई दरार,
रहा न चाचा न ही ताया।

किस्ती फंस गई मंझदार,
किनारा कहीं नहीं पाया।

सूरज सी गर्मी है सब में,
शीतल चाँद नजर न आया।

दूर खुद की हुई परछाई,
दगाबाज है निज हमसाया।

रोशनी की मद्धिम है लौ,
घना तम चारों ओर छाया।

कली कली दिखी कुमलाई,
हर फूल दिखा मुरझाया।

मनसीरत पक्षी हैं सब मौन,
संकट ओर हुआ गहराया।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
244 Views
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