कैसा लिखता हूँ मै
लिखता हूँ इतना कुछ ।
कुछ हमे भी कहो न ।
कमर टूट जाती है ।
लिखकर -लिखकर ।
तुम पढती हो न ।
टिप्पणी करके कुछ कहो ।
लाइक के बटन को स्पर्श करो।
बोल दो कैसा लिखता हूँ मै ।
उम्र चाहे भले ढल जाए ।
फिर भी सीखता हूं मै ।
अपने कल्पना की ।
फसल को हमेशा सीचता हूं मै ।
भीगी बरसात मे ।
भीगता हूं मै ।
लगा के गोता सागर मे ।
अभी भी ढूंढता हूं मै ।
वृक्षो के तले बैठकर ।
अभी भी ध्यान धरता हूं मै ।
आप ही बताओ ।
कैसा लिखता हूं मै ।
शब्दो को सजाकर ।
रचना रचता हूं मै ।
सबसे हाथ जोड़कर ।
करता हूं सजदा मै ।
भले अकङ जाते तन ।
फिर भी न सोता हूं मै ।
खेत जोतकर ।
समय से फसल बोता हूं मै ।
अपने सिर पर ।
जिम्मेदारियो का बोझ ढोता हूं मै ।
हालात कितने भी बुरे हो ।
हंसते रहता हूं मै ।
स्याही भले ही खत्म हो जाए ।
मन की ज्योति से लिखता हूँ मै ।
आप ही बताओ कैसा लिखता हूँ मै ।
??Rj Anand Prajapati ??