कैसा रंग चढ़ा
**** 2122 2122 2122 ***
****** कैसा रंग चढ़ा *******
*************************
गाल तो है लाल कैसा रंग छाया,
हाल तो बेहाल कैसा रंग छाया।
चीरती छाती सदा तीखी जुबानी,
बात बुनती बाल कैसा रंग छाया।
मोरनी सी चाल है भाती-लुभाती,
खूब बजती ताल कैसा रंग छाया।
बोलकर बेबाक झट उठ चली वो,
बस बचा कंकाल कैसा रंग चढ़ा।
कौन मनसीरत जगत में रहा है,
वार करता काल कैसा रंग छाया।
**************************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)