Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

कैसा कलियुग आ गया

कैसा कलियुग आ गया, बदला आज समाज।
रिश्ते बनते अर्थ लख, तजकर सारी लाज।
तजकर सारी लाज,मनुज कारज कटु करता।
उपजा उर में बैर,हृदय में कटुता भरता।
कहता सबसे ओम,जगत चाहे बस पैसा।
बदली मानव सोच,मिला कलियुग ये कैसा।।

ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

1 Like · 58 Views

You may also like these posts

ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ये बादल क्युं भटक रहे हैं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
चांदनी रात में बरसाने का नजारा हो,
चांदनी रात में बरसाने का नजारा हो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
स्पर्श
स्पर्श
sheema anmol
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
Ajit Kumar "Karn"
शुक्र मनाओ आप
शुक्र मनाओ आप
शेखर सिंह
चले ससुराल पँहुचे हवालात
चले ससुराल पँहुचे हवालात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरी अवनति में मेरे अपनो का पूर्ण योगदान मेरी उन्नति में उनका योगदान शून्य है -
मेरी अवनति में मेरे अपनो का पूर्ण योगदान मेरी उन्नति में उनका योगदान शून्य है -
bharat gehlot
मरती इंसानियत
मरती इंसानियत
Sonu sugandh
पहचान लेता हूँ उन्हें पोशीदा हिज़ाब में
पहचान लेता हूँ उन्हें पोशीदा हिज़ाब में
Shreedhar
D
D
*प्रणय*
“विश्वास”
“विश्वास”
Neeraj kumar Soni
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"विडम्बना"
Dr. Kishan tandon kranti
वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी
वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी
gurudeenverma198
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
राम जपन क्यों छोड़ दिया
राम जपन क्यों छोड़ दिया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अच्छी लगती झूठ की,
अच्छी लगती झूठ की,
sushil sarna
*चुनाव: छह दोहे*
*चुनाव: छह दोहे*
Ravi Prakash
3695.💐 *पूर्णिका* 💐
3695.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी  का,
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी का,
Yogendra Chaturwedi
स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है ,पुरुष नहीं .
स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है ,पुरुष नहीं .
पूर्वार्थ
पर्यावरण
पर्यावरण
Neeraj Mishra " नीर "
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
🙏दोहा🙏
🙏दोहा🙏
राधेश्याम "रागी"
विषय-मन मेरा बावरा।
विषय-मन मेरा बावरा।
Priya princess panwar
विनम्र भाव सभी के लिए मन में सदैव हो,पर घनिष्ठता सीमित व्यक्
विनम्र भाव सभी के लिए मन में सदैव हो,पर घनिष्ठता सीमित व्यक्
Paras Nath Jha
मैं लेखक हूं
मैं लेखक हूं
Ankita Patel
सांसें थम सी गई है, जब से तु म हो ।
सांसें थम सी गई है, जब से तु म हो ।
Chaurasia Kundan
आसमान की सैर
आसमान की सैर
RAMESH SHARMA
Loading...