कैसा कलियुग आ गया
कैसा कलियुग आ गया, बदला आज समाज।
रिश्ते बनते अर्थ लख, तजकर सारी लाज।
तजकर सारी लाज,मनुज कारज कटु करता।
उपजा उर में बैर,हृदय में कटुता भरता।
कहता सबसे ओम,जगत चाहे बस पैसा।
बदली मानव सोच,मिला कलियुग ये कैसा।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम