कोरोना दिखा रहा डर भारी!
कोरोना दिखा रहा डर भारी,
यात्रा को निकले थे हम घर से, सपरिवार यह यात्रा हमारी, तिरुपति बाला जी की! के दर्शन को बनी थी योजना हमारी!
पुत्र सेवा में है,इस प्रदेश के निकट,साथ में रहती बहू हमारी!
घर से चले हम बैंगलूरु ,इंडिगो में थी टिकट हमारी!
पहुँचे बंगलोर में हम, हमें लेने आए थे, पुत्र-बहू हमारे!
एम जे आर के फ्लैट में, किराए दार है अजय कृष्ण पुत्र हमारे!
आकर किया विश्राम वहाँ! फिर करने लगे चलने की तैयारी!
श्री तिरुपति बाला जी के दर्शन को!तय थी तिथि हमारी!
दर्शन करने को चले ,लेकर हम वहाँ से सवारी,
प्रथम दर्शन हम सिद्धि विनायक गणपति जी को ध्याये,
दूजे दर्शन पापनाशनी माँ गंगा जी के पाए!
तीसरे दर्शन को आगे बढे,जहाँ विराजमान हैं हनुमान!
संकट मोचक है इनका नाम !
आकाश गंगा की जल धारा है यहाँ बहती!
चट्टानो के मध्य यह रहती!
समय था,भोजन पाने का,भोजन मिला यहां भोग-प्रसाद का !
भोग प्रसाद को धारण कर आए ,अब दर्शन है शेष हमारे!
दर्शनार्थियों का अंबार लगा है, कपाट खुलने का समय हुआ है!
खुलते ही कपाट भगदड सी आई, अन्दर जाने की धकम धकाई
धीरे-धीरे होले -होले बढते जाते,जय-जय के जयकारे लगाते!
दर्शन को निकट हम आए,प्रभु तिरुपति बाला जी के दर्शन पाए!
प्रसाद वितरण की व्यवस्था निराली,प्रसाद में मिलता लड्डू इत्यादि
अगला पड़ाव है दर्शन माता का-जहाँ विराजित तिरुमतीमाला!
इस प्रकार हम दर्शन पाए! लौटकर हम क्वाटर पर आए।
अगली यात्रा थी रामेश्वर जी की,यहाँ पर भी निर्धारित थी तिथि!
हम प्रतिक्छा कर रहे थे, तिथि आने की!
तिथि के आने से पूर्व कोरोना आया,यात्रा पर संकट मंडराया !
कैरोना दिखा रहा डर भारी, घोषित हो गई यह महामारी !
इसके कहर से बाजार थर्राया,शेयर बाजार पर संकट की छाया!
लुढ़क-लुुढक कर गोते खाए, कल कारखाने पर बंदी छाए!
होटल-मौल सब सूनसान पडे हैं,स्कूल-कालेज भी बंद पडे हैं!
अब हम घर पर बैठे समय गुजारें,
दिन काटे कटता नही,नही कटती है रात,
करवट बदल-बदल कर ,बीत रही दिन-रात!
बीत रही दिन-रात,कैसी है यह लाचारी?
कोरोना दिखा रहा डर भारी, घोषित हो गई यह महामारी!
कोरोना ने आकर खड़ी कर दी दिवार,हम बैठे हैं लाचार,
अरे, अपनी तो बिसात ही क्या? यह हुकमरानो की राह रोक रहा!
हुए इससे सब परेशान!अमेरिका,फ्रांस,कोरिया-जापान!
इजरायल भी घबराया है,स्पेन-इटली-ईरान में तो कहर ढाया है
कोष रहे हैं चीन को,यह कैसा वायरस पनपाया है!
श्रेष्ठता की दौड़ में बने हुए हैं अभिमानी,
कोरोना याद करा रही है, इनको! इनकी नानी!
हम पा लेंगे पार इससे,यह संकल्प धारा है,
योग-ध्यान-संयम,और विश्व बंधुत्व मूल मंत्र हमारा है!
कोरोना आया-कोरोना आया,यह डर हमें भगाना है!
नित्य नियम की पालना,नित्य हमें निभाना है!
हाथ मिलाने की परम्परा, यह हमारी है नही!
हाथ जोड़कर करें अभिवादन ,अपने बुजुर्ग बताते यही!
आओ मिलकर करें सामना,दूर भगाएं यहां से कोरोना!
दूर -दराज-व एकांत में रह कर हम जी लेते है!
तप- तपस्या रही है दिनचर्या हमारी!!
यदि यही उपाय है इससे बचने का,
तो इसे निभाने की लेते हैं जिम्मेदारी!
जो, दिखाता कोरोना डर भारी,तो मिलकर लडेंगे यह जंग सारी!
रहेगा प्रयास हमारा ये जारी !! जय भारत -जय भारती गूँज उठी है! कोरोना के विषाणु-जीवाणु के कीटाणु को भगाना है,
करके इसका विनाश, इसको समूल मिटाना है!!
अपने भारत वर्ष में, माँ भारती को सर्वोच्च स्थान दिलाना है।।