कैनवास
अंतर्मन के कैनवास में कुछ इस तरह रचे हो तुम
हृदय में बसे धड़कन के जैसे ,आँखों में बसे हो तुम
दिल की गहराइयां , जिस तल पर उतरती है
भावों की अभिव्यक्ति में, कुछ इस तरह रमें हो तुम
मुक्कमल इश्क़ का कोई, तुम अफ़साना बन जाना
जिंदगी जीने का तुम, खूबसूरत फ़साना बन जाना
चाहत है उस दरिया की जैसे, समुद्र में मिल जाऊँ
जिंदा दिली से जीए ऐसा कोई, तुम बहाना बन जाना
टूटती बिखरती साँसों का, एहसास तुमसे है
हृदय में बहती प्रेम धरा का, आस तुमसे है
जिंदगी अगर किताब होती, तो उसकी कहानी हो तुम
खूबसूरती से जिंदगी जीने का प्रयास तुमसे है।
ममता रानी
झारखंड