कैद हूं अपनी रूह के दिल में
खिड़की से
तेज धूप
कमरे के अंदर आ रही है
फिर भी
पर्दे गिराने को दिल नहीं
चाह रहा
कैद हूं
न जाने कब से
अपनी रूह के दिल में
अब तो सारे बंधन
खोलकर
पंख फैलाकर
एक परिंदे सा
आसमान में उड़ने को
दिल चाह रहा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001