के लिए
गजल की शक्ल में कलम घिसाई
212 212 212 212
कौन डरता यहाँ निज कफन के लिए।
चाहिए मौत हमको वतन के लिए।**0**
राज सुखदेव ने वार तन को दिया।
फिर भगत भी मिटे इस चमन के लिए।*1*
लील सड़के गई जी बहुत जिन्दगी।
सोचते हम रहे बस जतन के लिए।*2*
काम कुछ भी करो ना डरो यार तुम।
काम करना सदा जग नमन के लिए।*3*
काम कर लो अभी वक्त है काम का।
जिंदगी शेष सारी भजन के लिए।*4*
सादगी से रहो सादगी से सजो ।
तुम सजो जब भी सजना सजन के लिए।*5*
पाक नापाक हरकत से आ बाज तू ।
खाक भी ना मिलेगी दफन के लिए।*6*
राम आदर्श है सीखते उन्ही से हम
चल दिए वन निभाने वचन के लिए।*7*
चाँद की चाँदनी भी जलाने लगी।
ठंड लाये कहाँ से गलन के लिए।* 8*
आदमी जल रहा आदमी से यहाँ।
शय बची ही कहाँ अब जलन के लिए।*9*
बाँट हमने धरा को लिया दोसतो।
जंग जारी हमारी गगन के लिए।*10*
***** मधु गौतम
छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए—– धुन पर गाई जा सकती है।