कृष्ण सुदामा मिलाप
सुन सखा का नाम श्याम,
सिंहासन छोड़ दौड़ पडे़ ।
देख दशा सुदामा की,
प्रभु नयन जल निकल पडे़ ।
उर ते लिपटे दोऊ सखा,
सखा मिलाप सब लखत खडे़ ।
फटे वस्त्र और दीन दशा,
कान्हा विप्र सखा के पैर पडे़ ।
धूसर सने और शूल जडे़ ,
देख श्याम के अश्रु निकल पडे़ ।
सादर सखा आसन बैठारे,
नयन नीर ते पांव पखारे ।
डां. अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)