कृष्ण मुरारी
कैसे क्या लिखूं तुम पर बलिहारी
अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी
देवकी ललना यशोदा के पलना
वासुदेव का चंदा नन्द के अंगना
कंस का काल गोकुल का ग्वाल
निर्लिप्त योगेश्वर जन्मा नर लाल
निशा अँधियारी तोड़ बेड़ियाँ सारी
अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी
रुक्मणी के कुंकुम राधा नैन अंजन
गोपियाँ सखा सत्यभामा के श्रीतम
मीरा के प्राण धन सुदामा का मीत
अधरन बंसी कण कण घोली प्रीत
पीत पट ललाट लट मोर पंख धार
अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी
धेनु चरैया रास रचैया चतुर्भुज रूप
सागर गहरा बहती सरिता स्वरूप
शांतिदूत सर्वात्मा युद्ध की हुंकार
आत्मा का मंथन गीता का सार
अनादि अनन्त असीम गोवर्धन धारी
अपरिभाषित हो तुम कृष्ण मुरारी
#जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
रेखांकन।रेखा ड्रोलिया