कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
गज़ल- 4
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
कृष्ण जिॅंदगी कृष्ण बॅंदगी, जीवन का आधार कृष्ण हैं।
सात सुरों में मिलता जीवन, सुर जीवन में शामिल कर लो,
बंशी के सुर में हैं मोहन, बंशी की रसधार कृष्ण हैं।
कृष्ण प्यार है प्यार कृष्ण है, कृष्ण प्यार में ही खो जाओ,
राधा नंद यशोदा गोपी, ग्वालों का भी प्यार कृष्ण हैं।
कृष्ण युद्ध हैं कृष्ण बुद्ध हैं, कृष्ण सभी में ज्ञान प्रवीणा,
कृष्ण महाभारत हैं यारो, गीता का भी सार कृष्ण हैं।
कृष्ण पिता हैं कृष्ण पति हैं, कृष्ण सखा हैं, कृष्ण हैं भाई,
कृष्ण सभी रिश्तों में बसते, ‘प्रेमी’ का संसार कृष्ण हैं।
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी