कृष्ण तृष्णा
कृष्णा कृष्णा कृष्णा
कब मिटायेगा तेरे दर्शन की तृष्णा
ये कैसा मिथ्याभिमान हे मुझको
तु है मेरा बता दिया सारे जगत को
कब इस अभिमान को मान मिलेगा
तेरे नाम से मेरा नाम मिलेगा।
क्षण पल की चंद साँसों पर एहसान कर दे
नैनो को तेरा सुख मिल जाये ये काम कर दे।
चिरागों सा रोशन मेरा ये जहां कर दे
मेरा जहां ही तुझसे हो ये उपकार कर दे।
कृष्णा कृष्णा कृष्णा
कब मिटेगी तेरे दर्शन की तृष्णा।
सोनु सुगंध