कृष्ण तुम अंनत हो
कृष्ण तुम खरे हो
सबके हृदय में
अंदर तक भरे हो ,
सारे अवतारों में
अनूठे अवतार हो
सारी लीलाओं का
तुम सार हो ,
सारी विधियों का
विधान हो
समस्त विपदाओं का
समाधान हो ,
सभी दुष्टों का
विनाश हो
बुराइयों का
नाश हो ,
धर्म की आस हो
दसा अवतारों में
खास हो ,
द्रौपदी की लाज हो
बिगड़ों का काज हो ,
पांडवों की आन हो
भक्तों का मान हो ,
सबसे बड़े संत हो
आदि ना अंत हो
कृष्ण तुम अंनत हो
कृष्ण तुम अंनत हो ।
स्वरचित एवं मौलिक
(ममता सिंह देवा , 10/07/12 )