नशा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
प्रदूषण की छांव में दिल्ली
बात के हो जादूगर इस अदा से उल्फत है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
*जग में होता मान उसी का, पैसा जिसके पास है (हिंदी गजल)*
लौट आना वहीं - कोमल अग्रवाल की कलम से
बेवफ़ा जब हुए आँखों में बसाने वाले
तूफान सी लहरें मेरे अंदर है बहुत
प्रेम नि: शुल्क होते हुए भी
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
टूट जाते हैं वक़्त आने पर,
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
झील
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
तन के लोभी सब यहाँ, मन का मिला न मीत ।
"Becoming a writer is a privilege, but being a reader is alw
𑒖𑒲𑒫𑒢 𑒣𑒟 𑒮𑒳𑓀𑒠𑒩 𑒯𑒼𑒃𑒞 𑒁𑒕𑒱 𑒖𑒐𑒢 𑒮𑒿𑒑 𑒏𑒱𑒨𑒼 𑒮𑓀𑒑𑒲