कृष्ण कुंवर ने लिया अवतरण
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✍️ कृष्ण कुंवर ने लिया अवतरण ✍️
कृष्ण कुंवर ने लिया अवतरण
जाकर कारागार,
है लीला अपरम्पार कान्हा की
लीला अपरम्पार;
रोदन करने लगे वासुदेव
देवकी जेल के द्वार।
है लीला अपरम्पार कान्हा की
लीला अपरम्पार।।
श्याम बदन पर पीत वसन की
शोभा लिए विराजे,
मोर मुकुट चितचोर कन्हैया
अधरहिं मुरली साजे;
अर्धरात्रि को चमकी चपला
बारिश मूसलाधार।
है लीला अपरम्पार कान्हा……
मातु-पिता की सुन संताप से
बाल रूप में आए,
बोले भगवन मुझे पितामह
गोकुल में पहुंचाएं;
इतने में ही कटी बेड़ियां
खुले बंद सब द्वार।
है लीला अपरम्पार कान्हा……
पहरा देने वालों की अब
लगी नींद घनघोर,
वासुदेव ने चले टोकरी
में ले नंदकिशोर;
यमुना रही उफान प्रभु के
करती चरण पखार।
है लीला अपरम्पार कान्हा……
किए पार गहरी यमुना को
वासुदेव ने जाइ,
यशुमति को दे हाथ लला को
कन्या लिया उठाइ;
वापस लौटे राह चलत सिर
चिंतन हुआ सवार।
है लीला अपरम्पार कान्हा……
सुना रही थीं लोरी साथहिं
झुला रही भगवान,
करत दुलार नंद बाबा यह
पूरा हो अरमान;
खेलें गोदी में मइया के
धन्य-धन्य घर बार।
है लीला अपरम्पार कान्हा……
बालक छवि मनमोहक मोहन
स्वीकारो गुणगान,
पाऊं मुक्ति भजन से तेरे
दुर्गुण बनें सुजान;
“रागी” राधेश्याम कन्हैया
कर जीवन उद्धार।
है लीला अपरम्पार कान्हा……
🙏 कवि 🙏
राधेश्याम “रागी” जी
कुशीनगर उत्तर प्रदेश
संपर्क केन्द्र
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