कृष्ण का तन मन सदा राधा रहा
उम्र भर सीधा रहा सादा रहा
कुछ तो उसके पास में ज्यादा रहा
रूह निकली जिस्म से कहते हुए
लौटकर आऊँगी ये वादा रहा
रात भर भरता गया भरता गया
जाम पैमाने में पर आधा रहा
रुक्मणी से हो गए फेरे मगर
कृष्ण का तन मन सदा राधा रहा
उम्र भर सीधा रहा सादा रहा
कुछ तो उसके पास में ज्यादा रहा
रूह निकली जिस्म से कहते हुए
लौटकर आऊँगी ये वादा रहा
रात भर भरता गया भरता गया
जाम पैमाने में पर आधा रहा
रुक्मणी से हो गए फेरे मगर
कृष्ण का तन मन सदा राधा रहा