कृषक का घर द्वार
कृषक का घर द्वार, काकी से हो घर बार।
जीने का हो अब सार, सार होना चाहिए ।
आतुर हो नैन जब, काकी ताके घर अब।
गिरवी बिन गहनों के, द्वार होना चाहिए।
पानी -पानी सरकार, बहे चूना माटी द्वार ।
शिशु रोवे बार-बार , प्यार होना चाहिए।
वोट बैंक देता राज, किसानों पे करें नाज,
राह देख राजकाज, वार होना चाहिए। ।