√√ *कृपा की डोर दे देना 【भक्ति गीतिका】*
कृपा की डोर दे देना 【भक्ति गीतिका】
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(1)
हमें कुछ दो न दो भगवन ! कृपा की डोर दे देना
तुम्हारी हो जिधर चर्चा , हृदय उस ओर दे देना
(2)
हजारों साल से भटका हुआ हूँ मृत्यु-जीवन में
प्रभो ! इस जन्म में तो मुक्ति की शुभ भोर दे देना
(3)
न जाने जन्म से कितने ,तुम्हारे ध्यान में डूबा
झलक कुछ रूप-रस-माधुर्य की चितचोर दे देना
(4)
न रहना चाहिए पिछला ,तनिक भी कर्ज प्रभु बाकी
लिखा हो भाग्य में जो कष्ट ,सब घनघोर दे देना
(5)
जो भोला मन तुम्हें भाता रहा है सिर्फ हे भगवन !
हमें छल से परे चातुर्य का वह छोर दे देना
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भोर = सुबह
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451