”कूबूल करते हैं ”
के इस कदर मेरी वफा को बेवफाई मिलेगी
ये सपना मैंने सपने में भी नहीं देखा था ,,
चलो आज कूबूल कर ही लेते है की तुम्हें मुझसे मोहोब्बत न थी
सब कुछ बस एक हसीन धोका सा था मेहमान की तरह आयी थी तुम ,,
कुछ साल रह कर चली गयी चलो आज ये भी कूबूल करते हैं
मैंने ही तुम्हें अपना समझा था समझ कर अपना तेरे नाम अपना सब कुछ किया था,,
पर तुम तो बहती लहरों सी थी न रुकना ही तुम्हारी फितरत में था
दोष देता भी तो किसको मैं जब खुद का सिक्का ही खोटा था,,
वो यादें आज भी ताजा हैं दिल की दीवारें आज भी खाली हैं
महक रही है खुशबू आज भी उन यादों से जिनमे आज भी तुम कहीं न कहीं बसी हो ,,
क्यूँ आया ऐसा मोड क्या हुआ था आखिर ऐसा ????????
छोड़ो अब इस चक्कर में न पड़ते है तुम आगे बढ़ गयी मैं पीछे रह गया ,,
यादें तेरी मेरी बस थमी सी रह गयी
सूने दिल के दरवाजे अब हम खोलते हैं ,,
चलो आज हम एक बात और कूबूल करते है
बहुत हुआ अब खुद से भागना अब खुद से ही बेपनाह मोहोब्बत करते है हम,,
बे रंग पड़ी इन दीवारों पे खुद के ही रंग अब भरते हैं
तेरी यादों को अपने दिल पिंजरे से आजाद हम करते है ,,
चलो एक और बात आज हम कूबूल करते हैं के खुद से ही अब हम
बेपनाह मोहोब्ब्त करते है ,,
खुद से ही अब हम बेपनाह मोहोब्ब्त करते है …..
Written By; Ladduuuuu1023 ladduuuu