कुसूरवार कौन है
कुसूरवार कौन है
मेरा गांव जो बहुत ही
प्यारा होता था
चौपाल जो बच्चों की
किलकारियों से गूंजती थी
शामलात में कबड्डी-कुश्ती के
पहलवानों की
ललकार गूंजती थी
गांव के तालाब पर
सुबह-शाम
पूरा गांव घूमने जाता था
खेतों के रास्ते
आने-जाने वाले
बैलों के गले की घंटी से
संगीतमय होते थे
फाल्गुन, सावन व
अन्य अवसरों पर
महिला संगीत
सुनाई दे जाता था
पर आज सब मौन है
कुसूरवार कौन है
-विनोद सिल्ला