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20 Oct 2024 · 1 min read

कुर्बतों में रफ़ाकत थी, बहुत तन्हाइयां थी।

कुर्बतों में रफ़ाकत थी, बहुत तन्हाइयां थी।
बातें थी मगर बातों में भी रुसवाईयां थी।
गले लगता रहा हूं आपसे मैं यकबयक लेकिन
अंधेरा आंख में था बाहों में परछाइयां थी।

दीपक झा रुद्रा

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