कुरीतियां
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** कमर तोड महंगाई में,
कैसे मनाएं त्यौहार।।
दीपक तले अंधेरा,
जनता। में हाहाकार।
अंध विश्वास,कुरूतियो में,
लिपटे हैं हम।
आंखें होने के बाद भी,
बन बैठे हैं धृतराष्ट्र हम।
शिक्षा को बनाओ हथियार,
बनोगे जग में सिरोमोर।
अंशु कवि,,