कुन्डलियां :– माँ
कुन्डलियां :– माँ
माँ में ममता , वात्स्यना ,
मोह , मृदुल , मुस्कान ।
इक पावन स्पर्श ही ,
महकाए गुलदान ।
महकाए गुलदान ,
खिले फल मीठे सुन्दर।
एक मनोहर गंध ,
मिलेगी उसके ऊपर ।।
कहे “अनुज” अनमोल ,
नहीँ है कोई समता ।
जगजाहिर है प्यार ,
बड़ी निश्छल है ममता ॥
रचनाकार :– अनुज तिवारी “इंदवार ”
नोट :–
वात्स्यना शब्द कहीँ भी किसी भी शब्दकोष में नहीँ मिलेगा !
इसका उपयोग मैंने अपनी इस रचना के अनुरूप किया है , जिसका अर्थ (वात्स्यना :- माँ का वात्सल्य प्रेम )है ।