!! कुद़रत का संसार !!
कांटों बीच सुमन को देख ले
भौंरों का अनुराग़
प्रेम का पथ है ज़रा कठिन
पर बहती है रसधार
* रे पगले, कुद़रत का संसार
रिमझिम रिमझिम बरस रही है
अमृत जल की धार
धरती और गगन के बीच है
मेघ का ऐसा प्यार
* रे पगले, कुद़रत का संसार
पवन के झोंकों से आहत फिर
पक्षियों का परिवार
छोड़ के जाना फिर भी न चाहे
शाख़ से ऐसा प्यार
* रे पगले, कुद़रत का संसार
मां ने तुझको जनम दिया है
जहां ने दिया है प्यार
चाहे जितना कर्ज़ चुका ले
रहेगा सदा उधार
* रे पगले, कुद़रत का संसार
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)