कुदरत
कुदरत
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कुदरत के सतरंगी रंगो ने
रच डाला इस संसार को,
इंद्रधनुषी रंगो ने निखारा
जीवन जगत संसार को।
नित नया रूप बदलता
ओढ़ बादलो की श्वेत चादर,
फूलों की चुनरी फैलाकर
लाती मौसम मनभावन ।
खग,विहग,पशु ,पादप
श्रंगार धरा का मृदुतम है,
तराशती ,संवारती कुदरत
सर्जना भी इसकी अनुपम है,
मलयज मस्त पवन बहते
कल कल सरिता बहती है,
पुलकित हर्षित प्रात: ललिमा
करती वंदन अभिनंदन है।