कुण्डलियाँ
कद काठी में वे बड़े, ऊपर से धनवान ।
धनवानों का खासकर, अफसर रखते ध्यान ॥
अफसर रखते ध्यान, कहें जो वे करते हैं ।
नीरव जैसे संत, इन्हींके बल पलते हैं ॥
कैसे होगा काम, स्वयं अफसर बतलाते ।
करके उनका काम, मोटे तोहफे पाते ॥
अरब-पति अफसर कई, नकली बने किसान।
कालेधन को दे रहे, कृषि आय का मान ॥
कृषि आय का मान, दिला कर काले धन को ।
सज्जन बन कर रहें, रखे ज्यों कींच कमल को॥
लघु सीमांत किसान, न पाता कर्ज बैंक से ।
ब्याजखोर पीसे उसे, अपनी भ्र्ष्ट कलम से ॥