कुण्डलिया
ऋतु छः होतीं भारत में , लो आनंद उठाय ।
गरमी वर्षा शरद ऋतु , तीन ऋतुएं सुभाय ।।
तीन ऋतुएं सुभाय , हेमंत शिशिर औ बसंत ।
ऋतु अनुसार बिताय , न हो जिंदगी का अंत ।।
कहें ओम कविराय , यही हैं सुंदरतम ऋतु ।
जग में कहीं न होत , भारत में होतीं छः ऋतु ।।
ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट , मध्य प्रदेश