कुण्डलिया- गैंगरेप
गैंगरेप डरावना लगाते क्यूँ न रोक,
धरती देखो है बनी ज्यूं नरक का लोक।
ज्यूं नरक का लोक अच्छा न लगता अनाज,
बेटी सुरक्षित हों करें सब मिल वो इलाज।
कह अशोक कविराय है देना हस्तक्षेप,
सात पीढी कभी न सोचें भी गैंगरेप।
–अशोक छाबडा
गैंगरेप डरावना लगाते क्यूँ न रोक,
धरती देखो है बनी ज्यूं नरक का लोक।
ज्यूं नरक का लोक अच्छा न लगता अनाज,
बेटी सुरक्षित हों करें सब मिल वो इलाज।
कह अशोक कविराय है देना हस्तक्षेप,
सात पीढी कभी न सोचें भी गैंगरेप।
–अशोक छाबडा