कुण्डलिया छंद #हनुमानजी
विनय तुम्हारी मैं करूँ,
सुनो वीर हनुमान।
रामभक्त सुधि लो सदा,
करती हूँ आह्वान।
करती हूँ आह्वान,
सुनो हे रामदुलारे।
करो पूर्ण संकल्प,
लगाओ नाव किनारे।
कहती ‘डिम्पल’ ईश,
आस है यही हमारी।
प्रियजन हों खुशहाल,
कृपा हो सदा तुम्हारी।
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@स्वरचित व मौलिक
शालिनी राय ‘डिम्पल✍️