कुण्डलिया एक प्रयास
कुण्डलिया एक प्रयास
शर्मो हैया मिट गई ,आधुनिक बना समाज
बोल चाल नये निकले, पहनाव से न लाज
पहनाव से न लाज,मम्मी पहनती जीन्श को
आँचल का ना साज, तड़पे लाल ममता को
दैया रखती ख्याल,संतान पालन बोझ भया
आधुनिक दिखे हाल, मिट गई शर्मो हैया
सजन