“कुटुंब विखंडन”
कुटुंब विखंडन
की बातें,
एक दिन
देखा जाएगा।
कहानी बने
या उपन्यास,
एक दिन
लिखा जाएगा।
घुट रही
मनुष्यता जिसमें
अंकित है
अभय पहचान।
निराधार विखंडित
पृष्ठभूमि का
एक दिन प्रतिकुल
परिणाम दिखाएगा।।
(राकेश चौरसिया)
कुटुंब विखंडन
की बातें,
एक दिन
देखा जाएगा।
कहानी बने
या उपन्यास,
एक दिन
लिखा जाएगा।
घुट रही
मनुष्यता जिसमें
अंकित है
अभय पहचान।
निराधार विखंडित
पृष्ठभूमि का
एक दिन प्रतिकुल
परिणाम दिखाएगा।।
(राकेश चौरसिया)