*कुछ ख़त मोहब्बत के*
कुछ ख़त मोहब्बत के, बख़्शे में आज मिले !
पढ़कर उनको दिल में, आज भी फूल खिले !!
वो याद मोहब्बत की, हो आई फिर से ताजा !
जब प्यार महोब्बत के, वो चले थे सिलसिले !!
मिले थे जब हम पहली बार वो हर बात नूरानी है !
ये ख़त मोहब्बत के तेरे मेरे प्यार की निशानी है !!
बसती ख़ुशबू प्यार की इनमें मौजों की रवानी है !
कैसे भूल जाऊं उन लम्हों को तेरी मेरी कहानी है !!
पहली बार ही साथी हम तुम मिले थे उस रोज !
फिर डूबे हैं उन यादों में था तुमने किया प्रपोज !!
पहली नज़र के प्यार को था दिल ने समझ लिया !
मानो जन्मों जन्म की जैसे पूरी हो गई हो खोज !!
नीलम घनघस ढांडा
चंडीगढ़ , हरियाणा