कुछ हो गया
** कुछ खो गया (सजल)**
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2 1 2 2 – 2 2 1 2
लग रहा ऐसा कुछ खो गया,
जो न होना था वो हो गया।
पी लिया बोतल थी जो भरी,
जाम ज़ख्मो को है धो गया।
छोड़कर तनहा सा चल दिया,
तोड़ के दिल पल में वो गया।
देख कर रास्ते जो बंद थे,
ख्वाब धीरे – धीरे सो गया।
आँसुओं से मनसीरत भरा,
यार दर पर आ कर रो गया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)