** कुछ स्याह रातें **
कुछ स्याह रातें अमां की अब और भी बाकी है ला’दे अब शराब-शबाब जो भी बाकी साकी है
।।
मधुप बैरागी
हुस्न क्या है एक बला है बस कहने को तो वो अबला है
जान पाओगे तब तक जान गँवां दोगे बस एक यही तो फलसफा है।।
मधुप बैरागी