कुछ शब्द
आपने दो शब्द में ही बयां कर दी दुनिया का राज,
अच्छा है इसी बहाने आज आईना तो देखा हमने..
टहल रहा था समंदर किनारे में हंसता हुआ,
आंखों में आंसू आ गए गम समंदर का देखकर…
खुद ही ढूंढना पड़ता है नदियों को रास्ता अपना,
पहाड़ों को काटने वहां मजदूर नहीं जाते…
समंदर की लहरें थम जाती हैं किनारे पर आकर,
प्यासा अक्सर मर जाता है समंदर के करीब जाकर..
रोक नहीं पाओगे तुम हमें वीरान सड़कों पर भी,
हमने पत्थर से पानी बनने का सफर तय किया है…
यूं तो महफिलों में भी बताते थे अच्छाइयां हमारी,
अकेले में मिले तो खामियां गिनाने लगे..
ठहर जा समंदर कुछ वक्त के लिए,
मैं कश्ती लेकर फिर से उतरा हूं…
• विवेक शाश्वत