कुछ शब्द कुछ भाव
कुछ शब्द कुछ भाव…
1.न जाने क्यों दिल पिघला जाता है
तेरे ख़्याल से ही मचला जाता है
हर आहट पर लगता है कि तुम हो
इस उम्मीद पे पुरज़ोर धड़का जाता है
2.रुक सी गयी धड़कने होंठ बेज़ुबॉं
ठहर गई ज़मीं फट पड़ा आसमाँ
कैसे हो बसर लंबा ज़िंदगी का सफ़र
लगे हर पल सदियों सा तुम बिन यहाँ
3.सर्द रातों की महफ़िल में तारों का हुजूम
और हम हुजूम में भी ख़ुद को तनहा पाते हैं
तेरे ख़यालों में भी अब वो तपिश कहाँ
सर्द बिस्तर पर ख़ुद को ओढ़ सो जाते हैं
4.तेरी यादों की चाँदनी में नहा लूँ
क़तरा क़तरा दामन में समाँ लूँ
स्याह रातों की तहों से निकलती
इंतेज़ार की उजियारी बिसात बिछा लूँ
रेखा
कोलकाता