कुछ वैदिक गूढ़ार्थक ज्ञान-परक दोहे
अ से अहः तक सभी हैं,ओमकार विस्तार।
सृष्टि मूल जो सकल है,वांगमयी प्रस्तार।।
भृगु अंगिरा अत्रि है, तीन प्रमुख ऋषि प्राण।
इन से होय समस्त ही, जड़-चेतन निर्माण।।
प्राण योषा-वृषा करें, जीवों का निर्माण।
अगर भरोसा है नहीं, देखें वेद प्रमाण।।
मरुत-प्रतिमूर्छित सप्तम, करे नार संयोग।
परमेष्ठी में तब बनें,जीव उत्पत्ति योग।।
#स्वरचित_मौलिक_स्वप्रमाणित_सर्वाधिकार_सुरक्षित*
अजय कुमार पारीक’अकिंचन’
जयपुर (राजस्थान) – 302001.