कुछ लोग बहुत बच बच के चलते हैं
कुछ लोग बहुत बच बच के चलते हैं
इश्क से बचेंगे,बात ही ना करेंगे
किसी से दोस्ती ही नहीं करना
जमाने से डर डर के चलना
इनका कोई इतिहास नहीं होता
ना ही कोई अहसास होता
बस भूगोल ही होता हैं
जो गोल गोल होता हैं
कभी भीगे ही नही प्रेम रस में
बस सूखे ही बच निकले
नादानियां, शैतानियां कर ही नहीं पाएं
समझदारी का चोला ओढ़ते ही आएं
जी तो उनका भी करता हैं
दिल उनका भी मचलता हैं
बस दूर से टकटकी लगाएं रहते हैं
खुल के ये हंस भी नहीं सकते
अरे उतार भी दो ये लिबास
डुबो दो खुद को नादानियों में
समझदार बनके बहुत जी लिएं
अब भिगो लो खुद को वेवकूफियों में
ऐसा न हो जब भीगने का मन हो
बरसात ही ना हो, जज़्बात ही ना हो
बस पकड़े रहें समझदारी का झुनझुना
कोई बजाने को हाथ ही ना हो……!!!
दीपाली कालरा