कुछ लम्हों के लिए
कुछ लम्हों के लिए राब्ता था तेरा मेरा
शायद यहीं तक एक रास्ता था तेरा मेरा
यह दिल ही था जिसने तुम्हें अपना कहा
वरना यहाँ क्या वास्ता था तेरा मेरा
नज़दीक रहकर तो एहसास ही नहीं हुआ
दूरियाँ बताएँगी क्या रिश्ता था तेरा मेरा
न जाने क्यूँ छलक उठते थे मेरे आँसु ‘अर्श’
नाम एक साथ जो मैं लिखता था तेरा मेरा