कुछ लम्हें कुछ लम्हें ऐसे गुज़रे कुछ एहसास ऐसे बीते । कभी ली गुलों की ख़ुशबू कभी बारिशों में भीगे ॥ डाॅ फौज़िया नसीम शाद