कुछ लम्हें खुद से हो ..उनकी तलाश है ।
जिंदगी निराश है.
कुछ लम्हें खुद से हो.
उनकी तलाश है ।
रूठे बैठे हो जब अपने.
कहाँ गुंजाइश है ।
धार्मिक लोग है.
मतलबी क्रियाकलाप हैं ।
मंगल हो सिंदूरी.
शनि को तेल की तलाश है.
किन्हीं को दूध की प्यास है ।
जुड़े हो जो पीताभ से ।
इनमें सेवा का अभाव है.
विधायक विधि विधान हो ।
नपुंसक प्रमाण है ।।
महेंद्र जिंदगी हताश है.
कुछ लम्हे खुद से हों .
उनकी आश है ।
वरन् खुदी से विश्वास-घात है ।।