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25 Dec 2021 · 1 min read

कुछ यादों का क्या कहना!

कुछ यादों का क्या कहना
भरी आँख से बह आती है!

गाँव नहरिया मंदिर छूटे
द्वार आँगना गोबर लीपे।
शगुन पहर नूपुर बन जीते
मनस पटल स्मित लाती है।
कुछ यादों का क्या कहना …

सरगम आँगन सखी सहेजे
माँ बाबू का कमरा छूके।
सोहर बन्ना मेहँदी हल्दी
ढोल थाप संग नच जाती हैं।
कुछ यादों का क्या कहना …

कौन कहेगा सालों बीते
कलश रंगोली पीहर रीते।
मंगल गान चुनरिया ओढ़े
घूम मायका सब आती है।
कुछ यादों का क्या कहना …

अमिया भुट्टे बरगद धागा
साँझ के दीये और बाती को।
तेरी याद बहुत आती है
कान मे चुपके कह जाती है।
कुछ यादों का क्या कहना …

रश्मि लहर,
लखनऊ

Language: Hindi
391 Views

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