कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
तूफाँ को जैसे ही पुकारा जाएगा
कश्ती पे जिसने भी बिठाकर छोड़ा है
हाथों से उसके भी किनारा जाएगा
हाकिम ही जब मज़लूमों को ठुकराए तो
ऐसे में फिर किसको पुकारा जाएगा
जागीर जो मसनद को अपनी कहते हैं
मसनद से उन सबको उतारा जाएगा
~अंसार एटवी