कुछ मत कहिए
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==== कुछ मत कहिए ===
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भूखे मरो या, मर जाओ प्यासे
कुछ मत कहिए
काम बंद हो ,या बंद रास्ते
कुछ मत कहिए
स्कूल बंद, बिगड़े बच्चे
कुछ मत कहिए
बीमारी है, इलाज नहीं है
कुछ मत कहिए
पुलिस पीटे, लूटे बनिया
कुछ मत कहिए
कोरोना हो, निकले किडनी
कुछ मत कहिए
माक्स लगा ,मुंह बंद रखना
कुछ मत कहिए
बीवी डांटे , बच्चे तांसे
कुछ मत कहिए
देश लूटे,या घर बिक जाएं
कुछ मत कहिए
धोखा मिले,या छूटे मौका
कुछ मत कहिए
मिले ना पन्द्रह लाख कभी
कुछ मत कहिए
पड़े हो तुम बीमार, मुसीबत चाहे टूटे
कुछ मत कहिए
हक मारे परिवार, तुम्हारे
कुछ मत कहिए
घुट- घुट के मर जाओ, मगर
कुछ मत कहिए
सरकारी आदेश हुआ है
कुछ मत कहिए
फेंके झूंठ हजार कोई
कुछ मत कहिए
जुल्मी तोड़े जुल्म
कुछ मत कहिए
तानाशाही सरकार
कुछ मत कहिए
बिके क़लम -कलाम
कुछ मत कहिए
मोटे हुए दलाल
कुछ मत कहिए
अंधी -बहरी सरकार
कुछ मत कहिए
अंधभक्तों की बाढ़ बढ़ी है
कुछ मत कहिए
हुआ ना अच्छा काम कोई
कुछ मत कहिए
देश हुआ बर्बाद
कुछ मत कहिए
आया ना काला धन
कुछ मत कहिए
लूटती लाज हजार
कुछ मत कहिए
जल रहे खूब शमशान
कुछ मत कहिए
मर गये ढ़ेर किसान
कुछ मत कहिए
बढ़ रहा जातिवाद
कुछ मत कहिए
अच्छे दिन बेकार
कुछ मत कहिए
हुई महंगाई जवान
कुछ मत कहिए
लिखो गीत हजार
कुछ मत कहिए
“सागर” सब लाचार
कुछ मत कहिए
अब तो करो इंकलाब
सब कुछ कहिए
बचालो देश महान
अब कुछ तो करिए।।
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जनकवि/ बेखौफ शायर/लेखक
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डॉ.नरेश कुमार “सागर”
इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित
====9149087291