कुछ भूल मैं जाता रहा(गीतिका)
कुछ भूल मैं जाता रहा(गीतिका)
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(1)
किससे जुड़ा संबंध , किससे टूटता नाता रहा
कुछ याद में आता रहा, कुछ भूल मैं जाता रहा
(2)
सौभाग्य से कुछ गीत दोहे गीतिका साथी बने
जब भी मिली फुर्सत, मैं अपने आप को गाता रहा
(3)
मेरे हृदय में भी तुम्हारी ही तरह आघात थे
मैंने किसी को कब बताए . और मुस्काता रहा
(4)
अपनी खुशी का राज तुमको आज बतलाता हूँ यह
जैसा मिला मौसम मुझे, मैं उसको अपनाता रहा
(5)
अजनबी लोगों से कुछ आत्मीयता ऐसी मिली
मैं उन्हीं के साथ अपने दिल को बहलाता रहा
(6)
साँस के पहरे में समझो कैद है सौ साल की
जिंदगी का अर्थ यह भी कोई बतलाता रहा
(7)
फिर खबर मरने की थी, शमशान फिर जाना पड़ा
ऐसे किस्सा एक , खुद को रोज दोहराता रहा
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रचयिता :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451