कुछ भी ना साथ रहता है।
कुछ भी ना हमेशा रहता है।
इन्सान बस अपने हालात को जीता है।।1।।
खुशी हो या गम जिन्दगी में।
कमबख्त यह अश्क नजरों से बहता है।।2।।
कोई ना कोई तिश्नगी तो होगी।
जो यूं सहरा आब ए बूंद को तरसता है।।3।।
फरेब बनकर इश्क रह गया है।
तभी तो मोहब्ब्त में हर दीवाना रोता है।।4।।
आके कैसे लगे कश्ती साहिल पे।
यूं मांझी ही जब इसका साथ छोड़ता है।।5।।
कोई मोहब्ब्त अंजाम कैसे पाए।
अब तो हर दिल में एक बेवफ़ा रहता है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ